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तीसरी लहर की आहट, बढ़ गई घबराहट!
मुंबई : कश्मीर में आतंकी हिंसा और कोरोना के बावजूद आनेवाले पर्यटकों के कदम रुके नहीं हैं पर उनकी संख्या उतनी नहीं है, जो इस व्यवसाय से जुड़े लोगों को कोई खुशी दे पाए। इस साल के पहले ११ महीनों में आए ५.१३ लाख पर्यटक कश्मीर के टूरिज्म के लिए ऊंट के मुंह में जीरे के समान माने जा रहे हैं। अनुमान तो यही रखा गया था कि इस साल २० से २२ लाख के करीब टूरिस्ट कश्मीर में आएंगे पर कोरोना की मार सहने को वे लोग मजबूर हुए हैं, जो टूरिज्म इंडस्ट्री से जुड़े हुए हैं। यह बात अलग है कि नवंबर महीने में आ चुके १.२७ लाख टूरिस्टों ने जो उम्मीद बांधी थी, वह अब कोरोना की तीसरी लहर की आहट लीलने लगी है। अगर देखा जाए तो कश्मीर में आतंकी हिंसा या फिर चुन-चुन कर की जा रही नागरिकों की हत्याओं ने कभी भी टूरिस्टों के कदमों को नहीं रोका था, यह अक्टूबर में आनेवाले ९७,००० पर्यटकों से साबित होता था। पर अब जबकि सख्त कोरोना पाबंदियां एक बार फिर लागू की जाने लगी हैं और कश्मीर के कई स्थानों पर रेड जोन बनाए जाने लगे हैं, कश्मीरी उदास व चिंतित होने लगे हैं। सही मायनों में २०१६ के जुलाई महीने में हिज्ब के पोस्टर बॉय बुरहान वानी की मौत के बाद से ही कश्मीर का पर्यटन ढलान पर जाने लगा। उसके बाद कश्मीर में कई सालों तक पत्थरबाजों का राज रहा। विपरीत परिस्थितियों ने कश्मीर के पर्यटन को लील लिया। कश्मीर की यह बदकिस्मती ही रही है कि जैसे ही पर्यटन व्यवसाय एक समस्या से बाहर निकलने की जद्दोजहद में कामयाब होता है, दूसरी मुसीबत खड़ी हो जाती है।
अगर पूरे प्रदेश में आनेवाले पर्यटकों और श्रद्धालुओं की संख्या को देखें तो वैष्णो देवी की यात्रा ने कुछ सहारा प्रदेश की अर्थव्यवस्था को दिया है। नवंबर में ६.४६ लाख श्रद्धालुओं ने नया रिकॉर्ड कायम किया था पर २०२१ में आनेवाले कुल श्रद्धालु कोई रिकॉर्ड नहीं बना पाए क्योंकि उनकी संख्या ४९.४६ लाख ही हुई थी। हालांकि दिसंबर में इनके बढ़ने की उम्मीद तो थी पर कोरोना की सख्त पाबंदियां इस उम्मीद को तोड़ने लगी हैं।