भीमा कोरेगांव मामले में आरोपी कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज तीन साल बाद जेल से रिहा
भीमा कोरेगांव मामले में आरोपी कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज तीन साल बाद जेल से रिहा
मुंबई : भीमा कोरेगांव मामले में आरोपी कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज को तीन साल से अधिक समय तक जेल में बिताने के बाद गुरुवार को जमानत पर रिहा कर दिया गया। बंबई उच्च न्यायालय ने भारद्वाज (60) को एक दिसंबर को जमानत दी थी। राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) की विशेष अदालत को उन पर लगाई जाने वाली पाबंदियां तय करने का निर्देश दिया था। एनआईए अदालत ने भारद्वाज को 50 हजार रुपये के मुचलके पर रिहा करने का बुधवार को निर्देश दिया था। इसके बाद कानूनी औपचारिकताएं पूरी की गईं और गुरुवार दोपहर भायखला महिला कारागार से उन्हें रिहा कर दिया गया। अपनी कार में बैठते हुए भारद्वाज ने जेल के बाहर मौजूद मीडियाकर्मियों की ओर हाथ भी हिलाया।
यह मामला 31 दिसंबर, 2017 को पुणे के शनिवारवाड़ा में आयोजित एक सम्मेलन में दिए गए कथित भड़काऊ भाषणों से संबंधित है, जिसके बारे में पुलिस ने दावा किया था कि इसकी वजह से शहर के बाहरी इलाके में कोरेगांव-भीमा युद्ध स्मारक के पास अगले दिन हिंसा हुई थी।
पुणे पुलिस ने दावा किया था कि सम्मेलन को नक्सलियों का समर्थन प्राप्त था। मामले में 12 से अधिक कार्यकर्ताओं और शिक्षाविदों को आरोपी बनाया गया है। इसकी जांच बाद में एनआईए को सौंप दी गई थी। भारद्वाज को अगस्त, 2018 में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत गिरफ्तार किया गया था। विशेष एनआईए अदालत ने भारद्वाज पर कई अन्य शर्तें भी लगाईं, जिसमें अदालत की अनुमति के बिना मुंबई से बाहर नहीं जाना, एनआईए को अपना पासपोर्ट सौंपना और मामले के बारे में मीडिया से बात नहीं करना शामिल है।