सीएम आवास के बाहर तोड़फोड़, पुलिस की स्टेटस रिपोर्ट संतोषप्रद नहीं- हाईकोर्ट

सीएम आवास के बाहर तोड़फोड़, पुलिस की स्टेटस रिपोर्ट संतोषप्रद नहीं- हाईकोर्ट

दिल्ली : उच्च न्यायालय ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आवास पर प्रदर्शन के दौरान हमले को रोकने के लिए पर्याप्त उपाय नहीं करने पर पुलिस को फटकार लगाई है। अदालत ने पुलिस द्वारा बंदोबस्त के संबंध में दायर की गई स्थिति रिपोर्ट से असंतुष्टि जताते हुए कहा एक संवैधानिक पदाधिकारी के आवास पर घटना एक बहुत ही परेशान करने वाली स्थिति है। अदालत ने पुलिस आयुक्त को मामले को स्वयं देखने पर उचित सीलबंद रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति नवीन चावला की पीठ ने रिपोर्ट पर नाराजगी जताते हुए कहा कि प्रदर्शनकारियों द्वारा तीन बैरिकेड्स तोड़ दिए गए आपको अपने कामकाज और बंदोबस्त को देखने की जरूरत है, वहां कुछ भी हो सकता था। पीठ ने कहा आपको विरोध प्रदर्शन के बारे में सूचना मिली होगी, आपने बैरिकेड्स लगाएं,लेकिन आपने किस तरह का बंदोबस्त किया।

अदालत ने कहा कि मुख्यमंत्री के आवास पर किया गया बंदोबस्त और उसकी ओर जाने वाली सड़कपर सुरक्षा अपर्याप्त थी और पुलिस कुछ बदमाशों को केजरीवाल के घर के गेट तक पहुंचने और इलाके में तोड़फोड़ करने और सार्वजनिक संपत्ति को नष्ट करने से रोकने में विफल रही। पीठ आप विधायक सौरभ भारद्वाज द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें मुख्यमंत्री आवास पर हुए हमले की एसआईटी जांच की मांग की है। अदालत ने कहा कि पुलिस बल की ओर से विफलता हुई और विभाग को यह सुनिश्चित करना चाहिए था कि कुछ भी न हो। पीठ ने कहा कि पुलिस आयुक्त को इस पर रिपोर्ट देनी चाहिए। इसने कहा कि एक संवैधानिक अधिकारी के आवास पर हुई घटना बहुत परेशान करने वाली स्थिति है। अदालत ने कहा कि यह विचारधारा के बावजूद हमारे लोकतंत्र का एक महत्वपूर्ण पहलू है।

दिल्ली पुलिस की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल संजय जैन ने स्वीकार किया कि घटना नहीं होनी चाहिए थी। उन्होंने कहा कि सीसीटीवी कैमरे को जांच के लिए सुरक्षित रखा गया है, लोगों की पहचान की गई है और 41ए नोटिस जारी किए गए हैं। दूसरी ओर दिल्ली सरकार की और से पेश अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि जो लोग वीडियो पर सीएम के घर में तोड़फोड़ करते हुए पकड़े गए थे उनको एक राजनीतिक दल द्वारा सराहना करते हुए सम्मानित किया जा रहा है। अदालत ने मामले को 17 मई के लिए स्थगित कर दिया और पुलिस को इसकी व्यवस्था विफल होने के कारणों का खुलासा करने के लिए एक स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया।

इससे पहले 29 मार्च को केजरीवाल के आधिकारिक आवास के बाहर हिंसा और तोड़फोड़ तब हुई, जब युवा मोर्चा के अध्यक्ष और लोकसभा सांसद तेजस्वी सूर्या के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कार्यकर्ता हाल ही में फिल्म द कश्मीर फाइल्स पर सीएम की टिप्पणी के विरोध में पुलिस से भिड़ गए। । पुलिस ने मामले में आईपीसी की धारा 186 (लोक सेवक को सार्वजनिक कार्यों के निर्वहन में बाधा डालना), 188 (लोक सेवक द्वारा विधिवत आदेश की अवज्ञा), 353 (लोक सेवक को उसके कर्तव्य के निर्वहन से रोकने के लिए हमला या आपराधिक बल) और 332 के तहत मामला दर्ज किया गया था। बाद में मामले में सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान की रोकथाम अधिनियम की धारा 3 भी लागू की गई है।


लोगसत्ता न्यूज
Anilkumar Upadhyay

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