जर्मनी-यूक्रेन में तनाव क्यों ?
जर्मन : जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्त्स ने कहा है कि बीते दिनों राष्ट्रपति फ्रांक वाल्टर श्टाइनमायर को यूक्रेन ना आने देना मंजूर करने लायक बात नहीं. इस पर यूक्रेनी राजदूत ने जवाबी बयान दिया है.युद्ध में आर्थिक और सैन्य सहयोग के बावजूद जर्मनी और यूक्रेन के रिश्ते में तनाव साफ दिख रहा है. यूक्रेन के राजदूत आंद्रे मेलनेयक ने जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्त्स के फिलहाल यूक्रेन का दौरा ना करने के फैसले की आलोचना की है. युद्ध में आर्थिक और सैन्य सहयोग के बावजूद जर्मनी और यूक्रेन के रिश्ते में तनाव साफ दिख रहा है. शॉल्त्स ने सोमवार शाम कहा था, "बीते दिनों यूक्रेन का जर्मन राष्ट्रपति फ्रांक वाल्टर श्टाइनमायर को देश के दौरे से अनिमंत्रित कर देना अब भी उनके यूक्रेन जाने की राह में अड़ंगा है" पहले राष्ट्रपति श्टाइनमायर पोलैंड, लात्विया, एस्टोनिया और लिथुएनिया के राष्ट्र प्रमुखों के साथ कीव जाने वाले थे, लेकिन अचानक यूक्रेन ने उन्हें आने से मना कर दिया. शॉल्त्स के इनकार के बाद अब ऐसी संभावना बन रही है कि जर्मनी की ओर से विदेश मंत्री अनालेना बेयरबॉक और दो जर्मन सांसद आने वाले दिनों में यूक्रेन जाएंगे.
"आवेश में आना अच्छी राजनीतिज्ञता नहीं है. यहां यूक्रेन पर नाजी हमले के बाद की सबसे बर्बर जंग को खत्म करने की बात हो रही है, यह कोई किंडरगार्टन नहीं है" इससे पहले सोमवार को शॉल्त्स ने कहा कि "यह मंजूर करने लायक नहीं है कि एक देश जो बहुत सी सैन्य मदद, बहुत सी आर्थिक मदद दे रहा है, उसे कह देना कि उसका (जर्मनी का) राष्ट्रप्रमुख ना आए" यूक्रेन को जर्मन राष्ट्रपति के आने से आपत्ति है, लेकिन चांसलर से नहीं. राजदूत मेलनेयक ने कहा, "राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की जर्मन चांसलर की कीव यात्रा पर खुश होंगे" साथ ही जोड़ा, "यूक्रेन इसके एक प्रतीकात्मक दौरा होने से कहीं ज्यादा होने की उम्मीद करेगा. उम्मीद करेगा कि जर्मनी का सत्ताधारी गठबंधन जर्मन संसद की ओर से मंजूर भारी हथियार देने का फैसला जल्द लागू करे और अब तक किए वादे पूरे करे" जर्मनी की बढ़ती आलोचना के पीछे तेल की खरीदारी से जुड़ी हाल की एक रिपोर्ट भी हो सकती है. इसमें दावा किया गया था कि रूस से पिछले 2 महीनों से सबसे ज्यादा तेल खरीदने वाला देश जर्मनी है.