किडनी की प्रतीक्षा कर रहे १.७५ लाख रोगी, अंग न मिलने से ९० फीसदी मरीजों की हो जाती है मौत

किडनी की प्रतीक्षा कर रहे १.७५ लाख रोगी, अंग न मिलने से ९० फीसदी मरीजों की हो जाती है मौत

मुंबई, देशभर में किडनी, लीवर, हार्ट, फेफड़ा और अग्नाशय जैसे अंगों का करीब ३.१७ लाख मरीज प्रतीक्षा कर रहे हैं। इसमें सर्वाधिक किडनी के १.७५ लाख मरीज शामिल हैं, वहीं अंग प्रत्यारोपण की प्रतीक्षा सूची में शामिल ९० फीसदी मरीजों की मौत किडनी की कमी के कारण हो रही है, जबकि महज १० फीसदी मरीजों का ही प्रत्यारोपण इस कमी के चलते हो पा रहा है। ऐसे में अंगदान के प्रतिशत को बढ़ाने की आवश्यकता मुंबई सहित देश में पैदा हो गई है।
चिकित्सकों के मुताबिक कई सालों से लोगों की बदलती जीवन शैली और खानपान के चलते ऑर्गन फेलियर के मामलों में बढ़ोतरी हुई है। इनमें किडनी फेल होने के मामले सबसे अधिक हैं। अंग की प्रतीक्षा सूची में शामिल कुल मरीजों में से करीब ५५ प्रतिशत किडनी फेल होने की समस्या से जूझ रहे हैं।
अंग प्रत्यारोपण के लिए जीवित और ब्रेन डेड अथवा मृत्योपरांत ऐसे दो तरह के अंगदाता होते हैं। फिलहाल देश में जीवित दान दाताओं का अनुपात ८० प्रतिशत और ब्रेन डेड का २० प्रतिशत है। जीवित दानदाता किडनी और लीवर दान करते हैं, जबकि ब्रेन डेड दाता हार्ट, फेफड़ा, अग्नाशय आदि अंगों का दान करते हैं।
ग्लोबल ऑब्जर्वेटरी ऑन डोनेशन एंड ट्रांसप्लांटेशन (जीओडीटी) एक वैश्विक संगठन है, जो अंग दान और प्रत्यारोपण का समन्वय करता है। इस संगठन द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार कुल प्रत्यारोपण सर्जरी में से सर्वाधिक ८० प्रतिशत निजी और महज २० प्रतिशत सर्जरी सरकारी अस्पतालों में होती है।
प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक देशभर में बड़ी संख्या में मरीज विभिन्न अंगों की प्रतीक्षा कर रहे हैं। इनमें किडनी के १.७५ लाख, लीवर के ४० हजार, हार्ट के ५० हजार, फेफड़े के ५० हजार और अग्नाशय के २,५०० मरीजों सहित कुल ३,१७,५०० मरीज अंगों का इंतजार कर रहे हैं।


लोगसत्ता न्यूज
Anilkumar Upadhyay

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