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ठाणे जिला महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा भिखारियों को बनाया जा रहा है आत्मनिर्भर
ठाणे जिला महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा भिखारियों को बनाया जा रहा है आत्मनिर्भर
ठाणे, कद-काठी से मजबूत होते हुए भी अनेक भिखारी भीख मांगते हुए देखे जाते हैं। कभी पैसा तो कभी खाना मांगकर वे अपना जीवनयापन करते है। ऐसे भिखारियों को आत्मनिर्भर बनाने का काम ठाणे जिला महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा किया जा रहा है। शासकीय पुरुष भिक्षेकरी गृह योजना के माध्यम से भिखारियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कल्याण के जांभुल गांव स्थित ६५ एकड़ जगह पर खेती-बारी से संबंधित प्रशिक्षण दिया जा रहा है। यह जानकारी ठाणे जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी महेंद्र गायकवाड़ ने दी है। इसके लिए १.५ करोड़ रुपए की निधि भी दी गई है।
बेरोजगारी या पारिवारिक परिस्थितियों के चलते घर से भागकर अनेक लोग भीख मांगकर अपना जीवनयापन करने लगते हैं। जीवन भर भीख मांगकर ही खाना है यह सोचकर रेलवे स्टेशनों, मंदिर परिसरों या सरकारी जगहों पर अपना अस्थायी अड्डा बना लेते हैं। ऐसे भिखारियों की पहचान कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने का काम कल्याण के जांभुल गांव में किया जा रहा है। समाज में इज्जत के साथ एक सामान्य जिंदगी वे भी बिता सकें, इसके लिए शासन द्वारा लागू की गई शासकीय पुरुष भिक्षेकरी योजना के तहत खेती, फल बाग, पॉलि हाउस, मछली पालन तथा साग-सब्जी उगाने का प्रशिक्षण तथा मानधन देने का काम किया जा रहा है।
कल्याण के जांभुल गांव में राज्य सरकार की ७० एकड़ जमीन है। एक निर्जन क्षेत्र होने की वजह से यहां किसी का आना-जाना नहीं हो पाता था। भविष्य में शासन की उक्त जमीन पर अतिक्रमण हो सकता है, इसे देखते हुए दो वर्ष पूर्व महिला एवं बाल विकास विभाग ने उक्त जमीन पर भिखारियों को आत्मनिर्भर बनाने का काम करने का प्रस्ताव तैयार किया गया। मुंबई भिक्षेकरी प्रतिबंध कायदा १९५८ के तहत भिखारियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए ऐसे जगहों पर योजनाओं को लागू करने का शासन का निर्देश मिलने के बाद उस जमीन पर भिखारियों को खेती करने, सब्जी उगाने, फल बाग तैयार करने तथा मछली पालने आदि का प्रशिक्षण देना शुरू किया गया।