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७ से ९ जून के बीच मुंबई में भी झमाझम बरसात!
मुंबई, मुंबई सहित पूरा देश इन दिनों भीषण गर्मी के प्रकोप से बेहाल है। देश के कई हिस्सों में पारा ४५ के पार पहुंच गया है। लेकिन इस गर्मी की तपिश के बीच मौसम विभाग ने लोगों को राहतवाली खबर दी है। मौसम विभाग के अनुसार इस बार देश में मानसून समय से काफी पहले आएगा। सामान्य तौर पर भारत के दक्षिण पट्टे से मानसून का आगमन एक जून को होता है। लेकिन इस बार २७ मई के आसपास मानसून का आगमन हो जाएगा, ऐसा अनुमान मौसम विभाग ने व्यक्त किया है और यह मानसून लगभग ८ से ९ दिनों में महाराष्ट्र के कोकण क्षेत्र में पहुंचता है। इसलिए संभवत: ७ से ९ जून के बीच मुंबई में भी झमाझम बरसात होगी।
भारत में मानसून का आगमन केरल से होता है। सामान्य तौर पर १ जून से मानसून का आगमन होता है। लेकिन इस बार यह समय से काफी पहले दस्तक दे रहा है। मौसम विभाग के अनुसार जो भी अनुमान व्यक्त किया गया है उसके चार दिन पहले या बाद में बरसात होगी। मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक समय से पहले मानसून आने की वजह ये है कि उसके लिए सभी तरह की अनुकूल मौसमी परिस्थितियां बन रही हैं। आमतौर पर जून के आखिर और जुलाई के शुरुआत तक पूरे भारत में मानसूनी बादल छा जाता है। दक्षिण-पश्चिम मानसून भारत में सितंबर-अक्टूबर तक रहता है।
मौसम कार्यालय की ओर से गुरुवार को कहा गया है कि दक्षिण पश्चिम मानसून इस साल समय से पहले आने वाला है। अंडमान और निकोबार द्वीप में १५ मई से मानसून की पहली फुहारें शुरू होने की संभावना है लेकिन केरल तक पहुंचने में इसे १२ दिन लग सकते हैं। दक्षिण-पश्चिम मानसून के दक्षिण अंडमान सागर और उससे सटे दक्षिण-पूर्व बंगाल की खाड़ी में १५ मई से आगे बढ़ने की संभावना है। यही वजह है कि केरल में मानसून जल्द शुरू होने लायक अनुकूल परिस्थियों और इसके उत्तर की ओर बढ़ने का इशारा मिल रहा है। भारत एक कृषि प्रधान देश है और यहां खरीफ की फसल बहुत हद तक मानसून पर ही निर्भर है। वैसे भी देश में जितनी बारिश होती है, उसका ७० प्रतिशत दक्षिण पश्चिमी मानसून के ही भरोसे है। इसकी शुरुआत मानसूनी हवाओं की सामान्य तौर पर हिंद महासागर से आकर १ जून को केरल के तट से टकराने के साथ शुरू होती है और यह धीरे-धीरे दो हिस्सों में बंटकर पूरे भारत को कवर करता जाता है। एक हिस्सा बंगाल की खाड़ी से बढ़ता हुआ सबसे पहले हिमालय से टकराकर नॉर्थ-ईस्ट में मानसूनी बारिश शुरू करता है। दूसरा हिस्सा अरब सागर से बढ़ता हुआ पश्चिमी घाट और महाराष्ट्र से आगे चलकर गुजरात और राजस्थान तक बारिश कराता है।