मुंबई में अकेले महानगरपालिका चुनाव लड़ने से डरी कांग्रेस, नेताओं के बदले सुर

मुंबई में अकेले महानगरपालिका चुनाव लड़ने से डरी कांग्रेस, नेताओं के बदले सुर

मुंबई : मुंबई महानगरपालिका का चुनाव अकेले लड़ने की बार-बार घोषणा करने वाली मुंबई कांग्रेस अब अकेले चुनाव लड़ने से डरने लगी है। मुंबई कांग्रेस के अधिकांश नेता महाविकास आघाड़ी दलों शिवसेना, एनसीपी के साथ मिल कर चुनाव लड़ने के पक्ष में अपना सुझाव दे रहे हैं।
मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष भाई जगताप बीएमसी चुनाव के संदर्भ में कहा था कि आघाड़ी के साथ गठबंधन करने से कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ सकता है इसलिए कांग्रेस अलग  चुनाव लड़ेगी, लेकिन चुनाव नजदीक आने के साथ ही कांग्रेस नेताओं के सुर बदलने लगे हैं। आघाड़ी सरकार में मंत्री असलम शेख और वर्षा गायकवाड ने भी पार्टी को गठबंधन के साथ चुनाव लड़ने का सुझाव दिया है।
महाराष्ट्र कांग्रेस प्रभारी हनुमंतगौड़ा कृष्णेगौड़ा (एचके) पाटिल मुंबई में दो दिन के दौरे पर आए हैं। वे पार्टी नेताओं से बीएमसी चुनाव को लेकर सबकी राय ले रहे हैं। नेताओं के राय के आधार पर कांग्रेस निर्णय करेगी कि उसे आघाड़ी दलों के साथ मिल कर चुनाव लड़ना है या अलग चुनाव लड़े। कांग्रेस सूत्र बताते हैं कि मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष भाई जगताप अब भी अगल चुनाव लड़ने पर अड़े हुए हैं, लेकिन उनके नेता अलग चुनाव लड़ने से असमंजस में हैं।
बीएमसी में विराधी पक्ष नेता रवि राजा ने भी पार्टी के सामने गठबंधन के साथ लड़ने का सुझाव दिए हैं। रवि राजा का कहना है कि जब शिवसेना-भाजपा साथ मिल कर लड़ते थे तक कांग्रेस को फायदा होता था, लेकिन उनके अलग लड़ने से कांग्रेस को नुकसान हुआ है। 2017 का बीएमसी चुनाव इसका उदाहरण है। सन 1992 के बाद 2017 में सबसे कम सीटें आई हैं।
कांग्रेस सूत्रों के अनुसार, एक साथ चुनाव लड़ने पर कांग्रेस शिवसेना के सामने 90 सीटों की मांग रख सकती है। कांग्रेस के मुंबई महानगरपालिका में 31 नगरसेवक जीत कर आए थे, जबकि उसके 37 उम्मीदवार दूसरे नंबर पर थे। इसके आधार पर कांग्रेस 90 सीट देने का दावा गठबंधन के सामने रख सकती है।


लोगसत्ता न्यूज
Anilkumar Upadhyay

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