महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने मंगलवार को कहा कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुट को

महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने मंगलवार को कहा कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुट को

मुंबई. महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने मंगलवार को कहा कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुट को शिवसेना का नाम और निशान देने का निर्वाचन आयोग ईसी का फैसला पूर्व प्रभावी नहीं बल्कि भविष्य पर आधारित फैसला है विधान भवन में अधिकारियों के साथ बैठक के बाद नार्वेकर ने यहां पत्रकारों से कहा कि मुख्यमंत्री शिंदे सहित १६ विधायकों की अयोग्यता पर निर्णय इस बिंदु पर शुरू होगा कि जुलाई २०२२ में कौन सा गुट वास्तविक शिवसेना का प्रतिनिधित्व कर रहा था

विधानसभा अध्यक्ष ने सोमवार को कहा कि उच्चतम न्यायालय ने ११ मई के फैसले में कहा कि भरत गोगावाले को मुख्य सचेतक शिवसेना का के रूप में नियुक्ति अवैध है और इस बात का कोई सत्यापन नहीं किया गया था कि उन्हें किसी राजनीतिक दल द्वारा नियुक्त किया गया था या नहीं विधानसभाध्यक्ष ने कहा गोगावाले को पार्टी का मुख्य सचेतक फिर नियुक्त किया जा सकता है यदि सर्वोच्च अदालत के निर्देशानुसार उचित प्रक्रिया का पालन किया जाता है और राजनीतिक दल उन्हें फिर से नामित करता है अदालत ने विधानसभाध्यक्ष को मुख्य सचेतक के रूप में पुन: नियुक्त करने से प्रतिबंधित नहीं किया है

पिछले साल महाराष्ट्र में महा विकास आघाड़ी एमवीए के नेतृत्व वाली सरकार के गिरने के कारण शिवसेना केंद्रित टकराव पर अपने फैसले में उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को बहाल नहीं किया जा सकता क्योंकि उन्होंने विश्वास मत का सामना किए बिना इस्तीफा दे दिया था

शिवसेना के १६ बागी विधायकों की अयोग्यता पर निष्पक्ष फैसला लूंगा महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष नार्वेकर ने लिया संकल्प

मुख्यमंत्री शिंदे सहित शिवसेना के १६ बागी विधायकों को अयोग्य ठहराने से इनकार करते हुए उच्चतम न्यायालय ने कहा कि वह दलबदल विरोधी कानून के तहत अयोग्यता की याचिकाओं पर सामान्यत: फैसला नहीं कर सकता और उसने विधानसभा अध्यक्ष नार्वेकर को लंबित मामले पर उचित अवधि के भीतर निर्णय लेने का निर्देश दिया

शिंदे इससे पहले उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली एमवीए सरकार में कैबिनेट मंत्री थे। जून २०२२ में शिंदे और ३९ अन्य विधायकों ने अपनी पार्टी के नेतृत्व के खिलाफ बगावत कर दी जिससे शिवसेना बंट गई शिंदे बाद में भारतीय जनता पार्टी भाजपा के समर्थन से मुख्यमंत्री बने शिंदे और ठाकरे के नेतृत्व वाले शिवसेना के दोनों समूहों ने अलग-अलग पार्टी के रूप में चुनाव लड़ा है लेकिन उन्हें विधानसभा में अलग से मान्यता नहीं मिली है

निर्वाचन आयोग ने इस साल फरवरी में मुख्यमंत्री शिंदे के नेतृत्व वाले समूह को शिवसेना नाम और उसका चुनाव चिन्ह धनुष और तीर आवंटित किया था नार्वेकर ने मंगलवार को कहा उच्चतम न्यायालय के फैसले के अनुसार याचिकाओं पर फैसले की शुरुआत इस बिंदु से की जाएगी कि जुलाई २०२२ में कौन सा गुट शिवसेना का प्रतिनिधित्व कर रहा था हालांकि भारत निर्वाचन आयोग ने शिंदे गुट को शिवसेना का नाम और निशान आवंटित कर दिया है फैसला पूर्व प्रभावी नहीं बल्कि भविष्य पर आधारित होगा एजेंसी


लोगसत्ता न्यूज
बिरेंद्र कुमार लालचंद्र पाण्डेय

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