मनुष्य दुख से भरा होना पसंद करता है खाली होने से भयभीत होता है सुख और दुख दो किनारे हैं सुख का किनारा दूर है

मनुष्य दुख से भरा होना पसंद करता है खाली होने से भयभीत होता है सुख और दुख दो किनारे हैं सुख का किनारा दूर है

मनुष्य दुख से भरा होना पसंद करता है खाली होने से भयभीत होता है सुख और दुख दो किनारे हैं सुख का किनारा दूर है दुख का किनारा पास जो पास होता है उसे पहले पकड़ लेता है क्योंकि कोई न कोई सहारा चाहिए दुख नहीं होता है तो पाल लेता है वास्तविक न सही काल्पनिक ही सही

कुछ न कुछ पाने की भूख होती है दुख ही सही पा तो रहे हैं अहंकार दुख का भोजन है दुख को बढ़ा चढ़ाकर बताने में हमें मजा आता है क्योंकि अहंकार हमें उस वक्त सुख देता है अपार सुख।सही मायने में जीत चाहिए सच के सहारे जीत चाहिए तो अहंकार को मारना पड़ता है

छोटी छोटी राजनीतिक पार्टियां इस वक्त मेल जोल बढ़ा रही हैं नीतीश कुमार सबसे मिल रहे हैं, लेकिन मिलने  बयान देने से काम नहीं होने वाला भारतीय राजनीति में विपक्ष का सबसे बड़ा दुश्मन है छोटी छोटी पार्टियों के नेताओं का बड़ा अहंकार एक साथ आना है जुड़ना है जीतना है तो छोटे-छोटे अड़ंगे हटाने होंगे ये हैं अहंकार के अड़ंगे

जैसे अटल जी ने हटाए थे सबको साथ लेकर चले थे हार्ड लाइन की पार्टी के नेता होकर भी सबको संभाला सबकी सुनी मानी भी। यही करना होता है अपने दुखों को भीतर रखकर दूसरों के सुखों में सुखी होना पड़ता है। तब जीत होती है तब विजय होती 

राहुल गांधी इन दिनों भारत जोड़ो यात्रा पर हैं वे कन्याकुमारी से चल पड़े हैं कह रहे हैं एक कदम आप बढ़ाइए एक कदम मैं बढ़ाऊंगा तब जुड़ेगा भारत तब जुटेगा भारत दो दिन में ही लगने लगा है कि इस यात्रा से और कुछ हो न हो लेकिन कांग्रेस कार्यकर्ताओं में उत्साह जरूर आने वाला है

यही सफलता के संकेत होते हैं सफलता सत्ता की नहीं जहां हैं वहां से आगे बढ़ने की आगे जरूर बढ़ा जा सकता है अगर उत्साह है उसकी दिशा सही है तो


लोगसत्ता न्यूज
नवनीत नारायण घरत

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